piyush mishra shayari :- पीयूष मिश्रा का जन्म 13 जनवरी 1963 को ग्वालियर में हूवा था। Piyush Mishra एक भारतीय संगीत निर्देशक, गायक, गीतकार,नाटक अभिनेता, पटकथा लेखक हैं। दिल्ली में स्थित नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा से स्नातक की शिक्षा प्राप्त की।
Piyush Mishra shayari आज दुनिया भर में प्रसिद्ध हो रखी है। जो आज बचे बचे के मुंह पर पीयूष शायरियां प्रसिद हैं। ऐसी को देखते हुए आज हमने आपके लिए पीयूष मिश्रा शायरी की पोस्ट लेकर आए हैं। हमे उम्मीद है, आपको यह पोस्ट पसंद आएगी अगर आपको यह पोस्ट पसंद आये तो कॉमेंट बॉक्स में में अपने विचार लिखे और पोस्ट को लाइक करेके रेटिंग जरूर दे।
Piyush Mishra shayari
उस घर से हमको चिढ़ थी जिस घर
हरदम हमें आराम मिला…
उस राह से हमको घिन थी जिस पर
हरदम हमें सलाम मिला…!
वो अजमल था या वो कसाब
कितनी ही लाशें छोड़ गया
वो किस वहशी भगवान खुदा का
कहर जो मैंने लिक्खा था…!
कहा पे गम हो इस बार की बरसात में तुम,
इन् खयालो से भी मिलती हो कभी रात में तुम..!
उस भरे मदरसे से थक बैठे
हरदम जहां इनाम मिला…
उस दुकां पे जाना भूल गए
जिस पे सामां बिन दाम मिला…
हम नहीं हाथ को मिला सके
जब मुस्काता शैतान मिला…
और खुलेआम यूं झूम उठे
जब पहला वो इन्सान मिला…
Piyush Mishra ki shayari in hindi
वो काम भला क्या काम हुआ
जो मटर सरीखा हल्का हो
वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ
जिसमे न दूर तहलका हो
वो काम भला क्या काम हुआ
जिसमें न जान रगड़ती हो
वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ
जिसमें न बात बिगड़ती हो
रातों को चलती रहती हैं मोबाइल पर उंगली,
सीने पर किताब रख के सोये काफी अरसा हो गया।
ख्वाहिशों को जेब में रखकर निकला कीजिए, जनाब, खर्चा बहुत होता है मंजिलों को पाने में।”
फिर धीमे हुंकारे की तान
उसके मुंह से यूं बहती है
मैं चौंक-चौंककर उठ बैठूं
क्या नींद ये सपना कहती है…
पीयूष मिश्रा शायरी for love
मैं दिन को काटे छान दुपहरिया
शाम खोदता आता हूं
और खोई रात की बाहों में
फिर ‘दर्द-खोज’ को जाता हूं…
मैंने जैसे एक एक चीज को सहेज के रखा हुआ था।
तो आज के इसी दिन के लिए,
जो मुझे स्मरण कराती है हर उस,
उस क्षण की जो कभी तुम्हारे साथ बीते थे।
मैंने हर उस चीज को इस तरह एक गठरी में बांधा
जैसे किऐ यात्रा की शुरुआत होऔर पढ़ें
शुक्र करो कि हम दर्द सहते हैं, लिखते नहीं,
वरना कागजों पर लफ्जों के जनाजे उठते।”
“कैसे करें हम खुद को तेरे प्यार के काबिल,
जब हम आदतें बदलते हैं, तुम शर्तें बदल देती हो।”
piyush mishra ki dard bhari shayari
दर्द की बारिश में हम अकेले ही थे,
जब बरसीं खुशियां, ना जाने भीड़ कहां से आ गई।”
दर्द की बारिश में हम अकेले ही थे,
जब बरसीं खुशियां, ना जाने भीड़ कहां से आ गई।”
“मैं हरदम ज़िंदा रहने का,
ये राज़ तुम्हें बतलाता हूँ,
रिश्ते मैं चंद बनाता हूँ ,
पर दिल से उन्हें निभाता हूँ”
“जब क़ायनातों ने नशे की बात भी छेड़ी न थी,
तब का नशा है ये पुराना उस सदी का जाम है।”
“चर्चे ये शायरी के सारे तमाम ला, जलती-सी इक रुबाई तपता कलाम ला, ग़ज़लें ये मेरी सारी कब की हैं सड़ चुकीं, ग़ज़लों से भी ज़रूरी कोई तो काम ला.”
“कुछ ऐसे मुझसे मिल रही हैं
की जैसे मुझको भुला चुकी हैं.
ये दिल हैं कोई हवेली जिसकी,
चमक-दमक में वीरानगी हैं.”
piyush mishra ki love shayari
“इलायची के दानों सा मुकद्दर है
अपना। महक उतनी ही बिखरी,
पीसे गए जितना।”
वो काम भला क्या काम हुआ जिसमें साला दिल रो जाए,
वो इश्क भला क्या इश्क हुआ जो आसान से हो जाए!
मैं क्या शायर हूं शेर शाम को
मुरझा के दम तोड़ गया
जो खिला हुआ था ताज़ा दम
दोपहर जो मैंने लिक्खा था…!
बहुत अंदर तक तबाही मचा देता है ..
वो अश्क जो आँख से बह नहीं पाता..!
कुर्सी है, कोई जनाज़ा तो नहीं।
कुछ कर नहीं सकते, तो उतर क्यों नहीं जाते?
अजीब दस्तूर है मोहब्बत का,
रूठ कोई जाता है, टूट कोई जाता है।
पीयूष मिश्र की sed shayari
औकात नहीं थी जमाने में जो मेरी कीमत लगा सके,
कम्बख्त इश्क में क्या गिरे, मुफ्त में नीलाम हो गए।
“दर्द की बारिश में हम अकेले ही थे,
जब बरसीं खुशियां, ना जाने भीड़ कहां से आ गई।”
“हल्की-फुल्की सी है जिंदगी,
बोझ तो केवल ख्वाहिशों का है।”
“शुक्र करो कि हम दर्द सहते हैं, लिखते नहीं,
वरना कागजों पर लफ्जों के जनाजे उठते।”